खुद से खुद की ये दूरी, न तय हो सकी और मेरी कोई भी, कहानी नही कुछ ऐसे हैं बीते, इक्कीस बरस हम सुकून के छणों को, गए हैं तरस हम अकेले रहे, पर न ध्यानी हुए बीतें 21 बरस, बिन जवानी जिये न तो लिख ही सके, न तो दिख ही सके और घिसते कलम, दिन रहे बीतते देखूँ तो ये नया वर्ष क्या लाएगा कितना खुद के निकट, हमको ले जाएगा ©Manaswin_Manu #gif #life #wasted #Competition #Stress #Responsibilities #Obeying_Establishments #Fullfilling_Expectations #Hope