आपने ही हाथ पकड़ कर मुझको कांधे पर बैठाया था। छत का मुझे पता नही आकाश सा मुझ पर साया था।। माना कि जब मैंने तुमको भाग भाग के खूब थकाया था। पर तुम्ही थे जो कहते थे बेटा मैं जान न पाया था।। पापा से जब कुछ मिलता नही दादाजी तुम्हारा सहारा था। अब कौन मुझे बतलायेगा जो कहानियों में बचपन गुजरा था।। आर्शीवाद तुम्हरा इतना है कि मैं सब कुछ पाया जीवन मे। दुर्भाग्य रहा पर इतना मुझ पर देख न पाया अंत समय मे।। आज हजारो लाखो मेरे सब कुछ जर्जर माटी है। आपका दिया एक रुपया मेरे जीवन की बहुमूल्य थाती है।। होली-दीवाली जब जब आये आप ही घर की रौनक थे। अब रंग-दीया सब फिके है जज्बातों की जो ऐनक थे।। आधार हो मेरे दादाजी आर्शीवाद से मैं खिलता रहूँगा संस्कारों की जो राह बनाई उस पर सदा चलता रहूंगा।। - मिस यू दादा जी. #talentedviru #virukedadaji... By - Biresh kumar #old