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जय तेरी हो शैलसुता माँ। नमन तुझे है यश दाता माँ।

जय तेरी हो शैलसुता माँ।
  नमन तुझे है यश दाता माँ।।
  ब्रह्मचारिणी ऐसा वर दो।
  बने संयमी कर तुम धर दो।।
  नमन माँ तुझको चंद्रघंटा।
  मुक्त प्रेत से करता घंटा।।
 हे आदिशक्ति माँ!कूष्माण्डा। 
  सृजित तुम्हीं से है ब्रह्माण्डा।।
   रूप पाँचवाँ मोक्ष प्रदाता।
   तुझको नमन है स्कंदमाता।।
   रूप कात्यायिनी जो है माँ का।
   सबको देती यही सबलता।।
    सप्तम रूप है अति भयंकर। 
    शत्रु नाश करने को तत्पर।।
    अलौकिक सिद्धि वह नर पाता।
     रूप महागौरी जो भजता।।
      सदा ही जय हो सिद्धिदात्री।
      अष्ट सिद्धियों की जो धात्री।।
       नवदुर्गा का पाठ करे जो।
     मन वांछित को प्राप्त करे वो।।

©Bharat Bhushan pathak #मातेश्वरी
जय तेरी हो शैलसुता माँ।
  नमन तुझे है यश दाता माँ।।
  ब्रह्मचारिणी ऐसा वर दो।
  बने संयमी कर तुम धर दो।।
  नमन माँ तुझको चंद्रघंटा।
  मुक्त प्रेत से करता घंटा।।
 हे आदिशक्ति माँ!कूष्माण्डा। 
  सृजित तुम्हीं से है ब्रह्माण्डा।।
   रूप पाँचवाँ मोक्ष प्रदाता।
   तुझको नमन है स्कंदमाता।।
   रूप कात्यायिनी जो है माँ का।
   सबको देती यही सबलता।।
    सप्तम रूप है अति भयंकर। 
    शत्रु नाश करने को तत्पर।।
    अलौकिक सिद्धि वह नर पाता।
     रूप महागौरी जो भजता।।
      सदा ही जय हो सिद्धिदात्री।
      अष्ट सिद्धियों की जो धात्री।।
       नवदुर्गा का पाठ करे जो।
     मन वांछित को प्राप्त करे वो।।

©Bharat Bhushan pathak #मातेश्वरी