#पितृ_दिवस/#शुभकामनाएँ "शज़र की छांह जब तपन से मुकरने लगे, जमीं पर आसमां का सुखन बिगड़ने लगे, हर्फ़-ए-सुकूँ सारे लगे बेतरतीब जब, मिश्रण साँसों का दिखने लगे अजीब जब, दुःख के धतूरे घुलने लगे जीवन में, ज़ख्म के ग्रहण लगने लगे जीवन में, सांपों का ताण्डव होता हो जब चमन में बेकली बन के रव फैलता हो ज़हन में, कुछ धड़कने मुझको तब दुआए देने आए, बिगड़ी लकीर हर एक, ख़ुद से संवर जाए दिल की हर इक चोट की चाहे मरम्मत वो, मिलती कड़वाहट को करते है शरबत वो, उनके हाथों की छुअन चिन्ता मेटती है, उन लबो की डांट नादानी समेटती है, उस शख़्स की सीरत, खरे अखरोट जैसी, ज़िन्दगी से सितम हरते विस्फोट जैसी, बन हौसला नसों में खूं जैसे दौड़ते वो, रौशनी के पुञ्ज, सुकूँ बन के चमकते वो, गतिरोधों को तोड़ने के भेद देते है वो, स्याह होती जेब को रंग सुफेद देते है वो, श्रम उनका पूरी करता सांस आधी मेरी उस ईंधन से पटरी पर चलती गाड़ी मेरी, जग में सब से अव्वल चाहत रहें मेरी, आरजू उनकी ज़ीस्त सलामत रहें मेरी, जीवन मुश्किलों पर हल बन बरसे वारिद, मौसमों से सदा, जवां होते रहें वालिद, उस दिल में हम निश्चिन्तता की बने धारिता, हमारा साया बन सदा हमारे साथ रहें पिता, यह सारे खुशनुमा मंजर सदा जीवंत रहें, मुस्कानों के कारक सदा मेरे संग रहें, सितम में कैसे रखें आपा बताते रहें जीवन जीने का ढंग पापा बताते रहें।" #चारण_गोविन्द/#बधाइयाँ #LoveYouDad #CharanGovindG #govindkesher #चारण_गोविन्द #पितृदिवस #Poetry #नज़्म #कविता