ज़ुल्फ़ चेहरे से यूँ तुम! न हटाया करो, अभी रमज़ान की आख़िरात बाकी है। यह बेपर्दा नूर हम से देखा जाता नहीं, माह-ए-रमज़ान या निगाहें कज़ाकी है। #shamaurtanhai #126 #365days365quotes