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भोर से पहले उठकर सबका खाना बनाती है “मां”,, सारा घ

भोर से पहले उठकर सबका खाना बनाती है “मां”,,
सारा घर का काम खुद करती है “मां”!!
 बड़ा थैला भर  के बाजार से सामान लाती है “मां”,,
कभी सिर पर हाथ फेरती कभी लोरी सुनाती है “मां”!!
पहले पढ़ कर वह फिर मुझको पढ़ाती है “मां”,,
 मुझको हंसा कर खुद हंसती पर अपने आंसू छुपाती है “मां”!!                              जीवन में हमेशा आगे बढ़ते रहने की मेरी निष्ठा जगाती है “मां”,,                                मां कभी उफ नहीं करती, बस थक के बैठ जाती है “मॉ”!!!
                                                      राज भारती सिह #poem #poet i love u mom #mom #happy #womens #day
भोर से पहले उठकर सबका खाना बनाती है “मां”,,
सारा घर का काम खुद करती है “मां”!!
 बड़ा थैला भर  के बाजार से सामान लाती है “मां”,,
कभी सिर पर हाथ फेरती कभी लोरी सुनाती है “मां”!!
पहले पढ़ कर वह फिर मुझको पढ़ाती है “मां”,,
 मुझको हंसा कर खुद हंसती पर अपने आंसू छुपाती है “मां”!!                              जीवन में हमेशा आगे बढ़ते रहने की मेरी निष्ठा जगाती है “मां”,,                                मां कभी उफ नहीं करती, बस थक के बैठ जाती है “मॉ”!!!
                                                      राज भारती सिह #poem #poet i love u mom #mom #happy #womens #day