Ink and Pain मत लगाना कभी बीज इश्क का दिल की जमीं पर। कम़्बखत इश्क दिल की जमीं को बंजर बना देता है। शुरुआत में साथ बिताया हर पल सुहाना लगता है। धीरे धीरे से जिंदगी को मौत का मंजर बना देता है। फिर आहिस्ता_आहिस्ता से चलता रहता है दिल पे। ये इश्क तो महबूब की यादों को खंजर बना देता है। जिन आंखों में बसा था वो खूबसूरत तस्वीर बनकर। उन आंखों को इश्क़ आंसुओं का समंदर बना देता है। हमसफर छोड़कर जाता है जब सफर अधूरा छोड़कर। एक दम से इश्क़ जिंदगी को विरान खंडर बना देता है। ©ਰਵਿੰਦਰ ਸਿੰਘ (RAVI) #InkandPain