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तितली;आया बसन्त है बागों में जहां आप उड़ती हो-२ खिल

तितली;आया बसन्त है
बागों में
जहां आप उड़ती हो-२ खिलखिलाती हुई;
फूलों से उनके
रस को हौले से छुपाते हुई;
कभी गुड़हल;कभी चमेली
के पीछे गुम हो जाती हुई;
अपने अल्हड़पन को दिखाते हुई;
इक नया ही रूप कर जाती हुई;जो है अनदेखा सा
पर अपने नैनों से सब समझाती हुई #part_1#my_life#titli#Mylove#Valentine_Day_Celebration_Tyohar
तितली;आया बसन्त है
बागों में
जहां आप उड़ती हो-२ खिलखिलाती हुई;
फूलों से उनके
रस को हौले से छुपाते हुई;
कभी गुड़हल;कभी चमेली
के पीछे गुम हो जाती हुई;
अपने अल्हड़पन को दिखाते हुई;
इक नया ही रूप कर जाती हुई;जो है अनदेखा सा
पर अपने नैनों से सब समझाती हुई #part_1#my_life#titli#Mylove#Valentine_Day_Celebration_Tyohar