मेरी जिंदगी मानिंद मेरे कमरे सी। गम है, अंधेरा है और तन्हाई है। मोहब्बत भी करके देख ली हमने। फक्त बेकली है, बेबसी है रुसवाई है। ©Sandeep SOGVAAR ........ गुमनाम शायर......... ............."सोगवार"........... ..................................... मानिंद - जैसे,तरह बेकरी - बेचैनी, घबराहट रुसवाई - बदनामी