इतनी भी मैं काबिल नही,आसमान को छू जाऊँ, इतनी भी निंदित नही,तेरी दुआओं को न पाऊँ, आज जो ये एवरेस्ट जितना ऊँचा कद पाया है, कैसे मैं तेरे उन लफ़्ज़ों के अल्फ़ाज़ को भूल जाऊँ, मशरूफ़ मैं जरूर हूँ, पर नजरअंदाज नही हूँ, माना हुन्नर कम जरूर है,पर वो चतुर्यता नही हूँ, आज जो भी ये मेरे चारो तरफ आता नजऱ है जरूर ......कुछ तेरी दुआओं का ही असर है, तो कुछ मेरे .............रब की रहमोकरम है, कुछ तेरी तो कुछ जल्दी ही प्राप्ति हो जाती है, मुझे विश्वास है कि मिल जायेगा यही सब्र है। 🎀 प्रतियोगिता संख्या- 60 🎀 शीर्षक:- "" दुआओं का असर "" 🎀 शब्द सीमा नहीं है। 🎀 पोस्ट को highlight जरूर करें।