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कि...हर चेहरा अब अनजान सा लगता है, क़रीबी अक्सर अब

कि...हर चेहरा अब अनजान सा लगता है,
क़रीबी अक्सर अब क्यूं मेहमान सा लगता है,

कि चलते-चलते आ गए हैं हम दूर इतना...
जो कभी शहर था,आज बियाबान सा लगता है।

©PUSHKAR MISHRA
  #Biyabaan  B Ravan ram singh yadav पूजा उदेशी diaryreena SAGUN (Manisha)