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गैरों की चाहत में अक्सर , अपने रूठ जाते हैं। चाँ

गैरों  की चाहत में अक्सर , अपने रूठ जाते हैं। 
चाँद  पाने की चाहत में  , सितारे छूट जाते  हैं॥ 
जवानी के सुरूर में,न करना फैंसला कोई तपन। 
अँगूठी  हाथ में  रहकर भी ,  रिश्ते टूट जाते हैं ॥
                           ✍पिंकेश चौहान ' तपन ' गैरों  की चाहत में अक्सर , अपने रूठ जाते हैं। 
चाँद  पाने की चाहत में  , सितारे छूट जाते  हैं॥ 
जवानी के सुरूर में,न करना फैंसला कोई तपन। 
अँगूठी  हाथ में  रहकर भी ,  रिश्ते टूट जाते हैं ॥
                           ✍पिंकेश चौहान ' तपन '
गैरों  की चाहत में अक्सर , अपने रूठ जाते हैं। 
चाँद  पाने की चाहत में  , सितारे छूट जाते  हैं॥ 
जवानी के सुरूर में,न करना फैंसला कोई तपन। 
अँगूठी  हाथ में  रहकर भी ,  रिश्ते टूट जाते हैं ॥
                           ✍पिंकेश चौहान ' तपन ' गैरों  की चाहत में अक्सर , अपने रूठ जाते हैं। 
चाँद  पाने की चाहत में  , सितारे छूट जाते  हैं॥ 
जवानी के सुरूर में,न करना फैंसला कोई तपन। 
अँगूठी  हाथ में  रहकर भी ,  रिश्ते टूट जाते हैं ॥
                           ✍पिंकेश चौहान ' तपन '