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विशेष प्रतियोगिता (गद्य) चिंतन भारतीय संस्कृति और

विशेष प्रतियोगिता (गद्य)
चिंतन
भारतीय संस्कृति और वैलेंटाइन सप्ताह
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अनुशीर्षक ने पढ़ें
👇👇👇👇👇👇👇👇 भारतीय संस्कृति की एक महत्त्वपूर्ण विशेषता और मूल आधार है परमार्थ और सबका कल्याण। इसमें लोक कल्याण और लोक हित की भावना सर्वोपरि है। दूसरों के कल्याण और आनंद में स्वयं के सुख की अनुभूति होती है।
संस्कृति किसी भी देश, जाति और समुदाय की आत्मा होती है।
संस्कृति का साधारण अर्थ होता है-संस्कार, सुधार, परिष्कार आदि।
भारतीय संस्कृति प्रेम की उदाहरण है। हर कण-कण में प्रेम है प्रेम सर्वव्यापक है हर पशु पक्षी जीव जंतु सब में प्रेम ही प्रेम है। ईश्वर ने प्रेम शब्द बनाया था ताकि हम सब लोग आपस में प्यार करें और प्यार से रहे परंतु नौजवान पीढ़ी की सोच में और भारतीय संस्कृति, में यह बदलाव आया है। भारत कई संस्कृतियों का मेल है। भारतीय संस्कृति के नैतिक मूल्य हैं बड़ों का आदर करना, धर्मनिरपेक्षता और गुरुजनों का मान करना,
अपने से छोटों को प्यार करना हर बहू बेटी की इज्जत करना और उसकी इज्जत की लाज रखना यह हमें संस्कृति ही सिखाती है।
हमारे देश में प्रेम के उदाहरण के रूप में श्री कृष्ण और राधा जी का प्रेम श्री कृष्ण और मीरा जी का प्रेम, शिव पार्वती जी का प्रेम,प्रेम ही सर्वज्ञ है प्रेम ही मॉल है प्रेम ही दुनिया की धारा प्रेम ही जीवन है।
भारतीय संस्कृति और यह वैलेंटाइन सप्ताह,
नौजवानों ने अपने प्यार के इजहार का यह माध्यम बना लिया है,उनकी सोच में यह शामिल हो चुका है कि अगर वह किसी से प्यार करते हैं तो उनका इन दिनों अपने हम-नफ्स को यह बात कहना बहुत जरूरी है और वह अपनी बात अपने साथी को गुलाब का फूल देकर यहां कोई तोहफा देख कर मन के भाव उसके सामने रखता है परंतु ऐसा किसी भी दिन कर सकता है,वो आने के लिए वह इन दिनों के बाध्य नहीं है, वह अपने प्रिय से कभी भी अपने प्यार का इजहार खामोशी से भी कर सकता है परंतु आजकल यह सब बिजनेस बन चुका है।
विशेष प्रतियोगिता (गद्य)
चिंतन
भारतीय संस्कृति और वैलेंटाइन सप्ताह
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अनुशीर्षक ने पढ़ें
👇👇👇👇👇👇👇👇 भारतीय संस्कृति की एक महत्त्वपूर्ण विशेषता और मूल आधार है परमार्थ और सबका कल्याण। इसमें लोक कल्याण और लोक हित की भावना सर्वोपरि है। दूसरों के कल्याण और आनंद में स्वयं के सुख की अनुभूति होती है।
संस्कृति किसी भी देश, जाति और समुदाय की आत्मा होती है।
संस्कृति का साधारण अर्थ होता है-संस्कार, सुधार, परिष्कार आदि।
भारतीय संस्कृति प्रेम की उदाहरण है। हर कण-कण में प्रेम है प्रेम सर्वव्यापक है हर पशु पक्षी जीव जंतु सब में प्रेम ही प्रेम है। ईश्वर ने प्रेम शब्द बनाया था ताकि हम सब लोग आपस में प्यार करें और प्यार से रहे परंतु नौजवान पीढ़ी की सोच में और भारतीय संस्कृति, में यह बदलाव आया है। भारत कई संस्कृतियों का मेल है। भारतीय संस्कृति के नैतिक मूल्य हैं बड़ों का आदर करना, धर्मनिरपेक्षता और गुरुजनों का मान करना,
अपने से छोटों को प्यार करना हर बहू बेटी की इज्जत करना और उसकी इज्जत की लाज रखना यह हमें संस्कृति ही सिखाती है।
हमारे देश में प्रेम के उदाहरण के रूप में श्री कृष्ण और राधा जी का प्रेम श्री कृष्ण और मीरा जी का प्रेम, शिव पार्वती जी का प्रेम,प्रेम ही सर्वज्ञ है प्रेम ही मॉल है प्रेम ही दुनिया की धारा प्रेम ही जीवन है।
भारतीय संस्कृति और यह वैलेंटाइन सप्ताह,
नौजवानों ने अपने प्यार के इजहार का यह माध्यम बना लिया है,उनकी सोच में यह शामिल हो चुका है कि अगर वह किसी से प्यार करते हैं तो उनका इन दिनों अपने हम-नफ्स को यह बात कहना बहुत जरूरी है और वह अपनी बात अपने साथी को गुलाब का फूल देकर यहां कोई तोहफा देख कर मन के भाव उसके सामने रखता है परंतु ऐसा किसी भी दिन कर सकता है,वो आने के लिए वह इन दिनों के बाध्य नहीं है, वह अपने प्रिय से कभी भी अपने प्यार का इजहार खामोशी से भी कर सकता है परंतु आजकल यह सब बिजनेस बन चुका है।
mrsrosysumbriade8729

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भारतीय संस्कृति की एक महत्त्वपूर्ण विशेषता और मूल आधार है परमार्थ और सबका कल्याण। इसमें लोक कल्याण और लोक हित की भावना सर्वोपरि है। दूसरों के कल्याण और आनंद में स्वयं के सुख की अनुभूति होती है। संस्कृति किसी भी देश, जाति और समुदाय की आत्मा होती है। संस्कृति का साधारण अर्थ होता है-संस्कार, सुधार, परिष्कार आदि। भारतीय संस्कृति प्रेम की उदाहरण है। हर कण-कण में प्रेम है प्रेम सर्वव्यापक है हर पशु पक्षी जीव जंतु सब में प्रेम ही प्रेम है। ईश्वर ने प्रेम शब्द बनाया था ताकि हम सब लोग आपस में प्यार करें और प्यार से रहे परंतु नौजवान पीढ़ी की सोच में और भारतीय संस्कृति, में यह बदलाव आया है। भारत कई संस्कृतियों का मेल है। भारतीय संस्कृति के नैतिक मूल्य हैं बड़ों का आदर करना, धर्मनिरपेक्षता और गुरुजनों का मान करना, अपने से छोटों को प्यार करना हर बहू बेटी की इज्जत करना और उसकी इज्जत की लाज रखना यह हमें संस्कृति ही सिखाती है। हमारे देश में प्रेम के उदाहरण के रूप में श्री कृष्ण और राधा जी का प्रेम श्री कृष्ण और मीरा जी का प्रेम, शिव पार्वती जी का प्रेम,प्रेम ही सर्वज्ञ है प्रेम ही मॉल है प्रेम ही दुनिया की धारा प्रेम ही जीवन है। भारतीय संस्कृति और यह वैलेंटाइन सप्ताह, नौजवानों ने अपने प्यार के इजहार का यह माध्यम बना लिया है,उनकी सोच में यह शामिल हो चुका है कि अगर वह किसी से प्यार करते हैं तो उनका इन दिनों अपने हम-नफ्स को यह बात कहना बहुत जरूरी है और वह अपनी बात अपने साथी को गुलाब का फूल देकर यहां कोई तोहफा देख कर मन के भाव उसके सामने रखता है परंतु ऐसा किसी भी दिन कर सकता है,वो आने के लिए वह इन दिनों के बाध्य नहीं है, वह अपने प्रिय से कभी भी अपने प्यार का इजहार खामोशी से भी कर सकता है परंतु आजकल यह सब बिजनेस बन चुका है। #collabzone #yqcollabzone #czप्रतियोगिता