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ठहर जा मंज़िल ! तू कब तक भागेगी मुझसे तुझे पाने की

ठहर जा मंज़िल ! तू कब तक भागेगी मुझसे 
तुझे पाने की ज़िद में बहुत कुछ खोया है 
इस मोड़ पे आ के तुझे ना पाउँ ये गवारा नहीं 
मेरी लकीरों में माना बेशक तू नहीं,
पर लकीरें भी बनानी आती है अच्छे से 
तेरा दीदार ही है,  मकसद जीवन का.......

©Shikha Srivastava
  #Jidd