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#boat :- आज फिर से वही कहानी जो अधूरी छुट गयी थी,

#boat :- आज फिर से वही कहानी जो अधूरी छुट गयी थी, उसका अगला चेप्टर खोलता हुँ। बात बहुत ज्यादा पुरानी तो नहीं हुई फिर भी कुछ बातें ऐसे छुट जाती है कहने को जो बिना कहे सुनाये दिल में एक गुदगुदी सी होते रहती है। चलिए अब सीधे स्टोरी पर लिए चलतें हैं। एक बार जब मैं अकेले अपनी नाव लिये समुन्द्र के तरफ अकेले ही निकल पड़ा। उस वक्त मुझे मौसम का अंदाजा नहीं था। शाम होने को आई थी। सूर्यास्त होने में अभी एक आध घंटा वक्त था। आसमान की तरफ देख ऐसा लगता नहीं था की मौसम शाम ढलने के बाद आगे चलकर खराब होगा। वो तो भगवान का शुक्र है की मैने एक रेन कोट, एक सेफ्टी शुट, और एक टॉर्च भी साथ में रख ली थी। रह रह कर मैं आसमान की तरफ टॉर्च जलाकर देख रहा था, की मौसम कहीं खराब तो नहीं हो रहा। मेरा ये शक भी सही निकला। मौसम अचानक से खराब होने लगा। मेघ की गर्जना इतनी जोड़ो से हो रही थी। मानो मेरी नाव अभी डोल कर पलट जाये। बारिस अभी शुरु ही हुई थी। मैं अपनी टॉर्च जला कर ऊपर की तरफ हिलाने लगा। शायद कोई मदद मिल जाये। दूर कही किसी को मेरे टॉर्च की रौशनी दिख जाये, और वो मदद को सीधा मेरी नाव की तरफ चला आये।
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©Sardar Jagjeetsingh Kalra
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