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खुद से लिपटकर रो चुका हूँ किसी मुर्दो सा घंटो सो च

खुद से लिपटकर रो चुका हूँ
किसी मुर्दो सा घंटो सो चुका हूँ
ये घबराहट मगर जाती नहीं
सांस आती हैं मगर आतीं नहीं
कोई भीतर से खा रहा हो जैसे
मेरे हालात पे ताली बजा रहा हो जैसे
कुछ नया भी तो हुआ नहीं है
मुझे किसी ने कुछ कहा नहीं है
फिर ये कैसी नाराजगी
ये कैसै फितूर है
हम खुद के होके भी
खुद से इतने दूर है 🤦‍♀️ Broken angle🙂
खुद से लिपटकर रो चुका हूँ
किसी मुर्दो सा घंटो सो चुका हूँ
ये घबराहट मगर जाती नहीं
सांस आती हैं मगर आतीं नहीं
कोई भीतर से खा रहा हो जैसे
मेरे हालात पे ताली बजा रहा हो जैसे
कुछ नया भी तो हुआ नहीं है
मुझे किसी ने कुछ कहा नहीं है
फिर ये कैसी नाराजगी
ये कैसै फितूर है
हम खुद के होके भी
खुद से इतने दूर है 🤦‍♀️ Broken angle🙂