मन्ज़िल दर मन्ज़िल बढ़ते रहते हैं।। क़भी थक कर बैठ नहीं जाते।। कि बैठ जाने से यूहीं मीलों लंबे फासले तय नहीं हो पाते।। सुप्रभात। मौसम ढलते रहते हैं, मुसाफ़िर चलते रहते हैं... #मुसाफ़िरचलतेरहते #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi