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आज फिर अचेतन मन से तुम्हारी याद के अंकुर फूट पड़े।

आज फिर अचेतन मन से तुम्हारी याद के अंकुर फूट पड़े। समझाता रह गया स्वयं को, परन्तु कोई सुनने को तैयार ही नहीं था, सबको तुम्हारी ही पड़ी थी। तब पता चला कि मुझे स्वयं को पूरा करने के लिए तुम्हारी जरूरत है। यह अल्पता मुझे जीने नहीं दे रही है, अधूरे-पन का अहसास चिंता और विषाद के साथ निराशा और अकर्मण्यता को जन्म देता है। और जब कि मैं अपने लक्ष्य के इतने करीब पहुंच चुका हूं तो यह मुझे और मेरे प्रयासों को निरर्थक बना सकता है। आज मैं स्वयं को निराला के राम की तरह देख रहा हूं, जो सामर्थ्यवान होते हुए भी निराशा की घोर पीड़ा से कराह रहा है। तो आओ और आकर पूर्ण कर दो मुझे। स्नेह की संजीवनी दो मुझे, जिससे मैं पुनः स्वयं को व्यवस्थित कर पाऊं और मेरे समर्थ बाण पुनः लक्ष्य को बींधने में सफल हो सकें। #yqbaba #yqdidi #yq #yqdada #yqhindi #yqrishi #delhilove #instafollow
आज फिर अचेतन मन से तुम्हारी याद के अंकुर फूट पड़े। समझाता रह गया स्वयं को, परन्तु कोई सुनने को तैयार ही नहीं था, सबको तुम्हारी ही पड़ी थी। तब पता चला कि मुझे स्वयं को पूरा करने के लिए तुम्हारी जरूरत है। यह अल्पता मुझे जीने नहीं दे रही है, अधूरे-पन का अहसास चिंता और विषाद के साथ निराशा और अकर्मण्यता को जन्म देता है। और जब कि मैं अपने लक्ष्य के इतने करीब पहुंच चुका हूं तो यह मुझे और मेरे प्रयासों को निरर्थक बना सकता है। आज मैं स्वयं को निराला के राम की तरह देख रहा हूं, जो सामर्थ्यवान होते हुए भी निराशा की घोर पीड़ा से कराह रहा है। तो आओ और आकर पूर्ण कर दो मुझे। स्नेह की संजीवनी दो मुझे, जिससे मैं पुनः स्वयं को व्यवस्थित कर पाऊं और मेरे समर्थ बाण पुनः लक्ष्य को बींधने में सफल हो सकें। #yqbaba #yqdidi #yq #yqdada #yqhindi #yqrishi #delhilove #instafollow