Unsplash वैसे मैं बहुत बहादुर हूं फिर भी आज भी किन्ही मोको पर आज भी सहम जाती हूं अजीब का मातम भीतर कहि कोने में आज भी अपनी जड़े जमा बैठा है क्रोध से उसे ढक जरूर उसे देती हूं पर व्यक्त करने में मन जाने क्यों सहम आज जाती हूँ ©Jaya acharya #library #poem