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Unsplash वैसे मैं बहुत बहादुर हूं फिर भी आज भी क

Unsplash वैसे मैं बहुत बहादुर हूं

फिर भी आज भी

किन्ही मोको पर 

आज भी सहम जाती हूं

अजीब का मातम 

भीतर कहि कोने में

आज भी अपनी 

जड़े जमा बैठा है

क्रोध से उसे ढक 

जरूर उसे देती हूं

पर व्यक्त करने में

मन जाने क्यों

सहम आज जाती हूँ

©Jaya acharya #library #poem
Unsplash वैसे मैं बहुत बहादुर हूं

फिर भी आज भी

किन्ही मोको पर 

आज भी सहम जाती हूं

अजीब का मातम 

भीतर कहि कोने में

आज भी अपनी 

जड़े जमा बैठा है

क्रोध से उसे ढक 

जरूर उसे देती हूं

पर व्यक्त करने में

मन जाने क्यों

सहम आज जाती हूँ

©Jaya acharya #library #poem
jayaacharya2481

Jaya acharya

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