पंछी तपिश धूप की बढ़ रही हैं ,बेचैन पंछी मर रहे हैं ... मानव मोह हैं कारण सारा ,अपनी ख्वाहिशों में सबको जला रहा हैं .. नही रही परवाह प्रकति की ,ना ही हैं संकोच किसी का मर रहे हैं तो मरने दो ,यही सोच बस बाकी हैं .. ©Manish Raj maurya #पंछी