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एक कालीन ही थी जिसने कीमत समझी जूतों की, जब तक बाह

एक कालीन ही थी जिसने कीमत समझी जूतों की,
जब तक बाहर रहता था,पग पग पे धूल खाता था ,

जिसके बिना घर से बाहर कहीं निकल नहीं सकते,
मै उन्हीं जूतों को घर मे कहीं रख कर भूल जाता था,

चश्मों और रुमालों को खूब जगह मिली अलमारी मे,
बेकार और निराधार था एक,जो एक जूता गुम जाता था,

इसकी आहटों से पहचानने लगे थे कुछ लोग मुझे,
मेरे आने से पहले फुसफुसाहटों का सिलसिला रुक जाता था ।। #yqbaba #yqdidi #shoespeak #shoes #hindi #ghazal #shayari #hindipoetry
एक कालीन ही थी जिसने कीमत समझी जूतों की,
जब तक बाहर रहता था,पग पग पे धूल खाता था ,

जिसके बिना घर से बाहर कहीं निकल नहीं सकते,
मै उन्हीं जूतों को घर मे कहीं रख कर भूल जाता था,

चश्मों और रुमालों को खूब जगह मिली अलमारी मे,
बेकार और निराधार था एक,जो एक जूता गुम जाता था,

इसकी आहटों से पहचानने लगे थे कुछ लोग मुझे,
मेरे आने से पहले फुसफुसाहटों का सिलसिला रुक जाता था ।। #yqbaba #yqdidi #shoespeak #shoes #hindi #ghazal #shayari #hindipoetry
namitraturi9359

Namit Raturi

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