एक कालीन ही थी जिसने कीमत समझी जूतों की, जब तक बाहर रहता था,पग पग पे धूल खाता था , जिसके बिना घर से बाहर कहीं निकल नहीं सकते, मै उन्हीं जूतों को घर मे कहीं रख कर भूल जाता था, चश्मों और रुमालों को खूब जगह मिली अलमारी मे, बेकार और निराधार था एक,जो एक जूता गुम जाता था, इसकी आहटों से पहचानने लगे थे कुछ लोग मुझे, मेरे आने से पहले फुसफुसाहटों का सिलसिला रुक जाता था ।। #yqbaba #yqdidi #shoespeak #shoes #hindi #ghazal #shayari #hindipoetry