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एक कमरे में बंद हूँ, मैं जिसमे ना कोई खिड़की है, ना

एक कमरे में बंद हूँ, मैं
जिसमे ना कोई खिड़की है, ना कोई झरोखा
सिर्फ एक दरवाजा है जिससे होकर तुम्हे आना है।
मुझतक पहुंचने के कई रास्ते मिल जाएंगे तुम्हे जैसे हवा का कोई झोंका कह रहा हो चल मेरे साथ जैसे सुर्य की किरणें जो दरवाजे के नीचे से आई हो मुझतक

मैं जानता हूँ, यंहा आने से पूर्व तुम्हें कई हमसफ़र मिलेंगे कुछ तुम्हारे साथ चलेंगे थोड़ी देर और कुछ तुम्हारे साथ चलकर आयेंगे सुसताएँगे तुम्हारे साथ किसी पेड़ के साये में
जब भी कोई पत्ते की आहट तुम्हारे कानो तक पहुँचे समझ जाना 'टूट रहा मैं'
तब भी चली आना दरवाजा अभी भी खुला है,
द्वार तक पहुंचने से पहले से कोई हाथ तुम्हारे कन्धे को तलाशे रुक जाना उस हाथ के लिए क़दम बढ़ाने से पहले एक दफा रुकना सोचना गहरा सोचना...अगर कदम पीछे बढ़े तो सुनना मेरा दर्द दरवाजे की चरमराहट से और कदम आगे की और बढे तब भी चली आना दरवाजा अभी भी खुला है' चौखट पर पैर रखते ही पुकारना मुझे ,मैं हाथ बढ़कर खींच लूंगा तुम्हे अपने प्रेम के अनंत प्रकाश में!

तुम्हें गले लगाते ही तुम्हारे कन्धे की सारी धुल झड़ जाएँगी 
जब तुम मेरे कन्धे पर सिर टिकाओगी ...अपनी बड़ी आँखों को बंद करके मन मे मेरा चित्र स्मरण करना 
ब्रह्मांड का सारा प्रेम तुममें समा जायेगा
तुम मेरे पीठ पर "अक्षांश" लिख देना
और दरवाजा बंद कर देना!!!!

💝मेली हिलोईएन💝
                                                                
क्या लिख दिये ये❣️

©*AKANKSHA MISHRA* Akki
एक कमरे में बंद हूँ, मैं
जिसमे ना कोई खिड़की है, ना कोई झरोखा
सिर्फ एक दरवाजा है जिससे होकर तुम्हे आना है।
मुझतक पहुंचने के कई रास्ते मिल जाएंगे तुम्हे जैसे हवा का कोई झोंका कह रहा हो चल मेरे साथ जैसे सुर्य की किरणें जो दरवाजे के नीचे से आई हो मुझतक

मैं जानता हूँ, यंहा आने से पूर्व तुम्हें कई हमसफ़र मिलेंगे कुछ तुम्हारे साथ चलेंगे थोड़ी देर और कुछ तुम्हारे साथ चलकर आयेंगे सुसताएँगे तुम्हारे साथ किसी पेड़ के साये में
जब भी कोई पत्ते की आहट तुम्हारे कानो तक पहुँचे समझ जाना 'टूट रहा मैं'
तब भी चली आना दरवाजा अभी भी खुला है,
द्वार तक पहुंचने से पहले से कोई हाथ तुम्हारे कन्धे को तलाशे रुक जाना उस हाथ के लिए क़दम बढ़ाने से पहले एक दफा रुकना सोचना गहरा सोचना...अगर कदम पीछे बढ़े तो सुनना मेरा दर्द दरवाजे की चरमराहट से और कदम आगे की और बढे तब भी चली आना दरवाजा अभी भी खुला है' चौखट पर पैर रखते ही पुकारना मुझे ,मैं हाथ बढ़कर खींच लूंगा तुम्हे अपने प्रेम के अनंत प्रकाश में!

तुम्हें गले लगाते ही तुम्हारे कन्धे की सारी धुल झड़ जाएँगी 
जब तुम मेरे कन्धे पर सिर टिकाओगी ...अपनी बड़ी आँखों को बंद करके मन मे मेरा चित्र स्मरण करना 
ब्रह्मांड का सारा प्रेम तुममें समा जायेगा
तुम मेरे पीठ पर "अक्षांश" लिख देना
और दरवाजा बंद कर देना!!!!

💝मेली हिलोईएन💝
                                                                
क्या लिख दिये ये❣️

©*AKANKSHA MISHRA* Akki