आगाज़ हैं मुजे की ये इश्क़ तेरा पायाब हैं 'रुद्र', मगर में इस में डूब जाऊं तो भी कोई हैरानी नहीं! - जय त्रिवेदी ("रुद्र") #पायाब_इश्क़