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तरु बड़ी बारीक निगाहों से देखा इर्द गिर्द की घटाओं

तरु
बड़ी बारीक निगाहों से देखा
इर्द गिर्द की घटाओं को
तुम सबकोटुंठ लग रहे हो
पर सच कहूँ
मेरी नज़रें कहती हैं कि
अब भी तुम मेरे लिए खूबसूरत हो
छोड़ दी पत्तियों ने तुम्हारा साथ
पंछियों ने भले ही उजाड़ लिया
अपना नीड
पर जिस आत्मविश्वास से अड़े हो ,
निर्जन सुनसान जगह पर खड़े हो 
हे तरु तुम धन्य हो
इन फिजाओं, इन वादियों को
को अपनी टुंठ टहनियों से 
सबको आकर्षित कर रहे हो
मेरी तन्हा जीवन की
तुम प्रेरणा हो।

©Rakesh Kumar Das
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