मान मर्यादा समाई इनमें साहस और है हक़ बराबर का मिला ये वो अनोखा दौर है कल तलक दहलीज पर बैठी निराशा में रहीं अब किरण आशा की बनकर हर दिशा में जल रहीं हर पिता की शान बनकर बढ़ रही हैं बेटियां इस धरा से आसमां तक उड़ रही हैं बेटियां ©कवि मनोज कुमार मंजू #मर्यादा #साहस #बेटियां #हक #मनोज_कुमार_मंजू #मँजू #parindey