कभी ज्यादा, कभी कम रहा मेरा ग़म मेरे संग हरदम रहा कभी ख़त्म न हुए दिन और रात के शिकवे देखो इस साल भी मौसम नम रहा न जाने उन आंखों में ऐसा क्या था एक अजनबी के जाने का रंज मुझे हरदम रहा मुझसे अब बातें नहीं करतीं ये उदास रातें नया दर्द ही हर बार मेरा मरहम रहा... © trehan abhishek ♥️ Challenge-896 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।