खामेमि सव्वे जीवा, सव्वे जीवा खमंतु मे। मित्तिमे सव्व भुएस् वैरं ममझं न केणई। 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 - अर्थात सभी प्राणियों के साथ मेरी मैत्री है, किसी के साथ मेरा बैर नहीं है। यह वाक्य परंपरागत जरूर है, मगर विशेष आशय रखता है। इसके अनुसार क्षमा मांगने से ज्यादा जरूरी क्षमा करना है। अंत में इतना ही- 'मिच्छामी दुक्कड़म्' #जैन