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नगर के नागर आना कभी गाँव में और देखना जलती हुई मोम

नगर के नागर आना कभी गाँव में
और देखना जलती हुई मोमबत्ती की
झिलमिलाती धुंधली सी रोशनी में,
जिसे तुम गंवार समझते हो वों सब
एक समूह में सपरिवार पड़ौसी संग
चटाई पर बैठकर खाना और गम को
जैसे साथ-साथ खुशी से खा रहे हो...

तुम मनाते मौत का शोक दो दिन
यहाँ महीनों दर्द को बांटा जाता है
शायद जिंदो का बचानें का प्रयास 
अदम्य साहस एवं अटूट प्रेम संगम
हम परिचित है घर-घर की दीवारों से
बच्चा भी राहगीर को पथ दिखलाता
तुम पड़ोसी को भूलें जा रहे हो....

सहर्ष अभिवादन अजनबी का भी
आंगन में तुलसी की शोभा और..
बाहर पेड़ों को भी पूजा जाता है, 
तुम रोशनी में भी नही पहचानते
यहाँ अंधेरे में हाथ थामा जाता है
साहब तुम्हारी नज़रों में है असभ्य
पर तुम संस्कार खोते जा रहे हो...

©Anil Ray
  💞💕परेशां दिल को दिलदार नही💕💞

सुनो! शहर तेरी चमक, मुबारक  तुमको
हम  इस भौतिकता  के तलबगार  नहीं।

स्वार्थ  साधती है  तेरी  इंसानियत  शहर
परस्पर किस प्रकार का कोई प्यार नहीं।
anilray3605

Anil Ray

Bronze Star
Growing Creator

💞💕परेशां दिल को दिलदार नही💕💞 सुनो! शहर तेरी चमक, मुबारक तुमको हम इस भौतिकता के तलबगार नहीं। स्वार्थ साधती है तेरी इंसानियत शहर परस्पर किस प्रकार का कोई प्यार नहीं। #कविता #Sheher

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