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बेगुनाह हूं या गुनहगार तू ही बता दे, मेरी जिन्दगी

बेगुनाह हूं या गुनहगार तू ही बता दे,
मेरी जिन्दगी को कुछ तो रजा दे,
मुकम्मल जहां तूने ये बनाया है खुदा,
मुझको ता उम्र मोहब्बत की सजा दे,
हयाते रूह कॉप उठती है गमों में,
उसको अपार खुशियों की रजा दे,
न देना कभी मेरी वजह से कोई गम,
मुझको अब बस इस जमीं से उठा ले...! जमीं से उठा ले.....!
बेगुनाह हूं या गुनहगार तू ही बता दे,
मेरी जिन्दगी को कुछ तो रजा दे,
मुकम्मल जहां तूने ये बनाया है खुदा,
मुझको ता उम्र मोहब्बत की सजा दे,
हयाते रूह कॉप उठती है गमों में,
उसको अपार खुशियों की रजा दे,
न देना कभी मेरी वजह से कोई गम,
मुझको अब बस इस जमीं से उठा ले...! जमीं से उठा ले.....!

जमीं से उठा ले.....!