#saanse मुझे ये दूनियादारी अच्छी नहीं लगती,मुझे रब से ज्यादा ये दुनिया अच्छी नहीं लगती//बुलंदी को छूते तेरे दर दरिचो की रंगीनियां अच्छी नहीं लगती,मुझे अपनो से मिली ये कतआ रहमीया अच्छी नहीं लगती//२ जैसे गुल के बिना बगिया अच्छी नहीं लगती,मुझे वीरान पड़ी ये बस्तियां अच्छी नहीं लगती //३
चाहूं तो तेरा गिरेबान भी चाक कर सकती हूं,मुझे दोगलो की ये तसल्लिया अच्छी नहीं लगती//४ खुदा को भी सब याद करते है,मतलब पे यहां,मुझे
दुनिया की ये खुदगर्ज़ियां अच्छी नहीं लगती//५
उन्हें कैसे मिलेगी माँ के कदमो तले जन्नत,जिन्हें अपने घरों में ये बच्चियां अच्छी नहीं लगती//६ खुदाया जिस मुआश्रे में हो दहेज का आम चलन,मुझे इस मुआश्रे की ये पाबंदीया अच्छी नहीं लगती//७
शमा जब जईफ वालिदेन के मौजूद हों पांच औलादे,खिदमत के नाम पे मुझे उनकी ये चालाकियां अच्छी नहीं लगती//८ #shamawritesBebaak#Nojotovideoprompt#NojotoWritingPrompt#nojotohindi#nojotonews Saad Ahmad ( سعد احمد ) Noor Hindustanai Satya @Sethi Ji@Anshu writer