घर वो मंदिर कल तक जिसमें मर्यादाएं पलती थीं। दशरथ जैसे पिता पुत्र में रामायण ही ढलती थी।। ©कवि मनोज कुमार मंजू #घर #मंदिर #मर्यादा #रामायण #मनोज_कुमार_मंजू #मँजू #WinterSunset