चुप थे गुप चुप से खड़े दूर, निग़ाहों का इशारा मिल गया था। प्यार के पहले दिन ही, उसको छूने का बहाना मिल गया था। गालों पर लगा के रंग, दिल कमल सा खिल गया था। यहीं से हुई शुरुआत, रोज़ मिलने का बहाना मिल गया था। मेरे नसीब में पीला गुलाब, उसको गेंदे का फूल मिल गया था। सिलसिला मिलने का जारी रहा, जब तक ना घर बस गया था। ©Anuj Ray #गुप् चुप थे खड़े दूर,