बस कुछ यूँ तुम आना कि कभी बिछङने की गुंजाइश ना रहे, अगर हम रुठ जाए तो कुछ यूँ मनाना कि फिर कभी रुठने की ख्वाहिश ना रहे. ©Madhu एक उलझा हुआ ख्वाब.