इस बार कोई दिल में ना आया फिर एक सर्द खामोशी में बित गई अजीब सा एक इंतजार है या जरा सा ये प्यार है खोई हो तुम वहा किसी की बाहों में,भटकी हुई राहों में यादों में जरा सी सिलवटे ना आई अब तक मेरे ज़माने से ताजी तुम्हारी यादें लगती है जब बैठता हु तन्हाई में आग के सामने तो फिर तुम्हारी याद आने लगती है Kuch yaadon ke sahare