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सागर से कब तक नदियों का बैर चलेगा, दोनों का छोर मु

सागर से कब तक नदियों का बैर चलेगा,
दोनों का छोर मुकम्मल दिखना तो था ही,
सगरी नगरी घूम कर शाम का धौस कहा जमाते,
कब तलक दूर रहते तुमसे मिलना तो था ही।

घने जंगल के बिखरे जीवन में तन्हा खड़े थे,
अकेली चलती दिशाविहीन रंगो पर बहकना तो था ही,
खुदा की नेमते जो राही के स्वरूप तुम खड़े थे,
उसकी मर्जी मुझे संभालने तुमसे मिलना तो था ही।

मुझे खुद पर खुद का यकीन खुदा ने नहीं दिया,
बस नाकामी के लपेटों में खुद को लपेटना तो था ही,
मेरे यकीन पे यकीन करने का हक से नवाजा तो नहीं,
मेरे यकीन को विश्वास बनाने तुमसे मिलना तो था ही।

तुम को कैसे समझाऊं की तुमको क्यों नहीं समझाता,
पर मुझे तुम्हारे हम में शामिल होना ही था,
मेरी साहस इतनी नहीं की कुछ सामने से कह सकता,
बस मेरे एहसास को बताने तुमसे मिलना ही था। कभी-कभी हम लोगों से मिलना तो चाहते हैं मगर मिलते नहीं!
#मिलनातोथा #collab #yqdidi  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi
सागर से कब तक नदियों का बैर चलेगा,
दोनों का छोर मुकम्मल दिखना तो था ही,
सगरी नगरी घूम कर शाम का धौस कहा जमाते,
कब तलक दूर रहते तुमसे मिलना तो था ही।

घने जंगल के बिखरे जीवन में तन्हा खड़े थे,
अकेली चलती दिशाविहीन रंगो पर बहकना तो था ही,
खुदा की नेमते जो राही के स्वरूप तुम खड़े थे,
उसकी मर्जी मुझे संभालने तुमसे मिलना तो था ही।

मुझे खुद पर खुद का यकीन खुदा ने नहीं दिया,
बस नाकामी के लपेटों में खुद को लपेटना तो था ही,
मेरे यकीन पे यकीन करने का हक से नवाजा तो नहीं,
मेरे यकीन को विश्वास बनाने तुमसे मिलना तो था ही।

तुम को कैसे समझाऊं की तुमको क्यों नहीं समझाता,
पर मुझे तुम्हारे हम में शामिल होना ही था,
मेरी साहस इतनी नहीं की कुछ सामने से कह सकता,
बस मेरे एहसास को बताने तुमसे मिलना ही था। कभी-कभी हम लोगों से मिलना तो चाहते हैं मगर मिलते नहीं!
#मिलनातोथा #collab #yqdidi  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi
sbhaskar7100

S. Bhaskar

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कभी-कभी हम लोगों से मिलना तो चाहते हैं मगर मिलते नहीं! #मिलनातोथा #Collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi