जीत कर हारने का मजा देखते हैं लोग अपनी कमी को कहाँ देखते हैं हैं बनाते सभी ख्वाब मे इक महल तो हकीकत की बस्ती कहाँ देखते हैं अदम से सफर जिसका शुरु हुआ हैं वो लोग उँची मंजिल यहाँ देखते हैं जिनके तलवे घिसे हों सदा चलते चलते वो लोग आईना को कहाँ छोड़ते हैं अंधियों मे बनाया हो जिसने घरौंदा हौसलों की उड़ानें कहाँ छोड़ते हैं राजीव #rajeev#samandarspeaks