अपनी नजरों से मेंने ,तेरी नज़र को हंसते देखा है ! इन रेशमी जुल्फों को, तेरी उंगली पर लिपटते देखा है !! "चांद" को आसमां पर देखता है जमाना सारा मैंने"चांद"को अपनी गली से गुजरते देखा है! कवि कपिल ,मेरठ !! ©Kavi Kapil #आप #आप