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तेरी कितनी पावन नदियां मीठा जल पिलाती है खेतों को

तेरी कितनी पावन नदियां
मीठा जल पिलाती है
खेतों को सींचती है
प्यासों की प्यास बुझाती है।
 तेरी हवा चले तो मानो 
मा पंखा झुलाती है
मीठी लोरी गाती है
चैन की नींद सुलाती है।
तेरे वृक्षों की छाया मे 
लोग बिताते सुबहो शाम 
मेहनत कर, थक हार कर 
सुख चैन से करते आराम ।
तेरे खेतों से मिलता है 
हर मानुष को खाना 
फल और फूल मिले सभी को 
जीवन आधार सबने माना ।
तेरे पर्वत बचाते हमको
सर्दी -गर्मी, बरसात से
धरती स्वर्ग इनमे बसता
स्वास्थ्य लाभ सबने माना ।
तेरी धरती पर जन्म लिया 
राम कृष्ण ओर नानक ने 
सिखाया जिन्होंने प्यार से जीना 
पढ़ाया प्यार का पाठ सदा । वैभव ।
तेरी कितनी पावन नदियां
मीठा जल पिलाती है
खेतों को सींचती है
प्यासों की प्यास बुझाती है।
 तेरी हवा चले तो मानो 
मा पंखा झुलाती है
मीठी लोरी गाती है
चैन की नींद सुलाती है।
तेरे वृक्षों की छाया मे 
लोग बिताते सुबहो शाम 
मेहनत कर, थक हार कर 
सुख चैन से करते आराम ।
तेरे खेतों से मिलता है 
हर मानुष को खाना 
फल और फूल मिले सभी को 
जीवन आधार सबने माना ।
तेरे पर्वत बचाते हमको
सर्दी -गर्मी, बरसात से
धरती स्वर्ग इनमे बसता
स्वास्थ्य लाभ सबने माना ।
तेरी धरती पर जन्म लिया 
राम कृष्ण ओर नानक ने 
सिखाया जिन्होंने प्यार से जीना 
पढ़ाया प्यार का पाठ सदा । वैभव ।

वैभव ।