तमन्ना बहुत थी कि रोक लेते निगाहो से हमको तुम अपनी बांहों में जकड़ कर बदकिस्मत की तुम हमारे इशारे न समझ सकी अब कोई वक़्त नही गुज़रा एक आवाज़ देदो आ जाओ न किस्मत बदल सकती है kunwarsurendra तमन्ना बहुत थी कि रोक लेते निगाहो से हमको तुम अपनी बांहों में जकड़ कर बदकिस्मत की तुम हमारे इशारे न समझ सकी अब कोई वक़्त नही गुज़रा एक आवाज़ देदो