●▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬● तेरे एहसासात में ही सँवरना आ गया, ख़्यालातों के भँवर से उबरना आ गया। अज़ब है इंसान जानता है सारी हक़ीक़त, फिर भी चाहत में हद से गुज़रना आ गया। इल्म था अच्छे से सब रह जाएगा यहीं पर, मग़र टूटकर ज़र्रा ज़र्रा बिख़रना आ गया। ये सख़्त रास्तें और सदीद धूप में सफ़र मेरा, मुझें जलतीं ज़मीं पर भी पांव धरना आ गया। वो दास्ताँ तुझसें शुरू थी तुझपर ही ख़त्म हुई, चलते चलते बीच सफ़र में उतरना आ गया। आसान होते नही है ये मोहब्बत के रास्तें आशु, डूबकर इश्क़ के दरिया में पार उतरना आ गया। ●▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬● Read in Caption also 👇 ●▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬● तेरे एहसासात में ही सँवरना आ गया, ख़्यालातों के भँवर से उबरना आ गया। अज़ब है इंसान जानता है सारी हक़ीक़त, फिर भी चाहत में हद से गुज़रना आ गया।