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तस्कीर नहीं, दर्द नहीं, आस नहीं है। अब कोई भी ज़ुस

तस्कीर नहीं, दर्द नहीं, आस नहीं है।

अब कोई भी ज़ुस्तज़ु मेरे पास नहीं है।

ऐ ख़ुदा बहने दो अब धारा ए मोहब्बत,

अब दर्द ए मोहब्बत है तो एहसास नहीं है।

भर के लाने ना दो कांसे में पानी अब उन्हें फैज़ी,

वो कितना भी पिलाएं लेकिन हमें अब प्यास नहीं है॥

©Rizwan Ahamad Faizi
  तस्कीर नहीं, दर्द नहीं, आस नहीं है।

अब कोई भी #ज़ुस्तज़ु मेरे पास नहीं है।

ऐ ख़ुदा बहने दो अब धारा ए #मोहब्बत,

अब #दर्द ए मोहब्बत है तो एहसास नहीं है।
तस्कीर नहीं, दर्द नहीं, आस नहीं है।

अब कोई भी ज़ुस्तज़ु मेरे पास नहीं है।

ऐ ख़ुदा बहने दो अब धारा ए मोहब्बत,

अब दर्द ए मोहब्बत है तो एहसास नहीं है।

भर के लाने ना दो कांसे में पानी अब उन्हें फैज़ी,

वो कितना भी पिलाएं लेकिन हमें अब प्यास नहीं है॥

©Rizwan Ahamad Faizi
  तस्कीर नहीं, दर्द नहीं, आस नहीं है।

अब कोई भी #ज़ुस्तज़ु मेरे पास नहीं है।

ऐ ख़ुदा बहने दो अब धारा ए #मोहब्बत,

अब #दर्द ए मोहब्बत है तो एहसास नहीं है।