चलती हवायें दे जाती हैं। ले जाती है दिल का सुकूँ, धड़कन की रफ़्तार बढ़ाकर। मन की कुंज गलियों में तू, राधा बनकर दौड़ती है। पलकों से नींद चुराकर। 🎀 Challenge-189 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 🎀 Font छोटा रखिए ताकि वालपेपर खराब न हो। 🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। आप अपने अनुसार लिख सकते हैं। कोई शब्द सीमा नहीं है।