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चेहरा पढ़कर नहीं जान सकते, चेहरा गुणों का दर्पण नह

चेहरा पढ़कर नहीं जान सकते,
चेहरा गुणों का दर्पण नहीं  है ।
मैं भी तुम्हारे गुणों को  पढूंगी ,
मिलना ये मेरा समर्पण नहीं है ।
आशिकी की अंधी हवा मे ना बहना,
इसमे सच्चाई का  घर्षण नहीं है ।
सच के धरातल पर हम तुम चलेगे,
दिखावे मे कोई आकर्षण नहीं  है।
पुष्पेन्द्र "पंकज "

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©Pushpendra Pankaj
  उफ ये आशिकी

उफ ये आशिकी #कविता

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