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जीवन यात्रा आत्मविश्वास एवं मनोबल व्यक्तित्व विकास

जीवन यात्रा आत्मविश्वास एवं मनोबल व्यक्तित्व विकास के मौलिक सूत्र इन के अभाव में किसी भी प्रकार की सफलता और सिद्धि के द्वारा पर नहीं पहुंचा जा सकता मनुष्य में विकास की असीम संभावनाएं होती है पर जब तक उसके विचारों पर निराशा ही नेता और भी रूठता का आवरण नहीं होगा तब तक उसे अपनी संभावना और शक्तियों पर विश्वास नहीं हो सकता हालात मन मुताबिक तो शायद ही कभी होते हैं फिर कई बार हम 12 कोशिश में ही हार मान बैठते हैं हमारे भीतर का हीरो बाहर निकलने की बात जो होता रहता है और हम अपनी तरक्की के दरवाजे को बंद कर ही मन बैठते हैं और कुछ नहीं हो सकता हममें से ज्यादातर को तुरंत नतीजों पर पहुंचने की जल्दबाजी रहती है मंजिल ढूंढने में जरा देरी हुई नहीं कि हम रास्ते को ही गलत ठहरा देते हैं इससे उलझनें बढ़ती हैं जरूरी है कि हमसफ़र मंजिल नहीं पूरे जीवन यात्रा पर ध्यान दें यहां समझे की नाप पैसा और कामयाबी एक दिन में नहीं मिलती हमें लगातार खुद पर काम करना पड़ता है आधुनिक मनोवैज्ञानिक में श्रेष्ठता की ग्रंथि और हीनता का ग्रंथि पर बहुत अनुशासन हुआ है जीवन की प्रगति के लिए दोनों ग्रंथियों से मुक्त प्राप्त करना जरूरी है सफल एवं संतुलन जीवन के लिए आभार एवं कृतज्ञता की भाव जरूरी है शोध कहते हैं कि हम रोज दूसरों का आभार व्यक्त करना चाहिए आभार जितना हम जीवन की पूर्णता की ओर ले जाता है यह नहीं कि हां अवस्था को मकान को घर और अजनबी को दोस्त बना देता है दुख की बात यह है कि ज्यादातर समय हम मुखौटा ओढ़े रहते हैं जैसे भीतर होते हैं वैसे ही बाहर बने रहते हैं बसते हैं डरते हैं खुद को छुपाए रहते हैं आप क्या चाहते हैं और क्या चाहते हैं इससे सम्मान सम्मान देखना सीखे साहब सबसे जरूरी गुड है इसके साथ के बिना किसी भी अन्य गुणों को जीवन में लाया नहीं जा सकता

©Ek villain #Givan 

#Love
जीवन यात्रा आत्मविश्वास एवं मनोबल व्यक्तित्व विकास के मौलिक सूत्र इन के अभाव में किसी भी प्रकार की सफलता और सिद्धि के द्वारा पर नहीं पहुंचा जा सकता मनुष्य में विकास की असीम संभावनाएं होती है पर जब तक उसके विचारों पर निराशा ही नेता और भी रूठता का आवरण नहीं होगा तब तक उसे अपनी संभावना और शक्तियों पर विश्वास नहीं हो सकता हालात मन मुताबिक तो शायद ही कभी होते हैं फिर कई बार हम 12 कोशिश में ही हार मान बैठते हैं हमारे भीतर का हीरो बाहर निकलने की बात जो होता रहता है और हम अपनी तरक्की के दरवाजे को बंद कर ही मन बैठते हैं और कुछ नहीं हो सकता हममें से ज्यादातर को तुरंत नतीजों पर पहुंचने की जल्दबाजी रहती है मंजिल ढूंढने में जरा देरी हुई नहीं कि हम रास्ते को ही गलत ठहरा देते हैं इससे उलझनें बढ़ती हैं जरूरी है कि हमसफ़र मंजिल नहीं पूरे जीवन यात्रा पर ध्यान दें यहां समझे की नाप पैसा और कामयाबी एक दिन में नहीं मिलती हमें लगातार खुद पर काम करना पड़ता है आधुनिक मनोवैज्ञानिक में श्रेष्ठता की ग्रंथि और हीनता का ग्रंथि पर बहुत अनुशासन हुआ है जीवन की प्रगति के लिए दोनों ग्रंथियों से मुक्त प्राप्त करना जरूरी है सफल एवं संतुलन जीवन के लिए आभार एवं कृतज्ञता की भाव जरूरी है शोध कहते हैं कि हम रोज दूसरों का आभार व्यक्त करना चाहिए आभार जितना हम जीवन की पूर्णता की ओर ले जाता है यह नहीं कि हां अवस्था को मकान को घर और अजनबी को दोस्त बना देता है दुख की बात यह है कि ज्यादातर समय हम मुखौटा ओढ़े रहते हैं जैसे भीतर होते हैं वैसे ही बाहर बने रहते हैं बसते हैं डरते हैं खुद को छुपाए रहते हैं आप क्या चाहते हैं और क्या चाहते हैं इससे सम्मान सम्मान देखना सीखे साहब सबसे जरूरी गुड है इसके साथ के बिना किसी भी अन्य गुणों को जीवन में लाया नहीं जा सकता

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