तुम जन जन घूमते हो ले प्रिय उपहार अब क्लेस भी है दिखाओ अतिसार स्नेह मात्र से नहीं है यह जग सुधरा समय की झंकार पर स्वयं मानव है कष्ट में उत्तरा तभी हुआ है इस जग का विस्तार ©sahil हृदय परिवर्तन कविता #stay_home_stay_safe