इश्क़ बिमारी की इक शरारत है रातों जगाती है ये कयामत है नींद को कैसे समझाऊं मैं इन आखों को इससे शिकायत है उसको ये लाती नहीं साथ अपने जिसकी वजह से मिरी ये हालत है वोह जो हस्ती है मेरे जनाजे पे अरे ऐसी मुहब्बत पे लानत है गर सोचते हो बिन तुम्हारे अकेला हूँ ना भूल ये मैकदे अभी सलामत है ©Bharat Sharma Vats #KaviBhitar #MoGu #IshqBimari