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इश्क़ बिमारी की इक शरारत है रातों जगाती है ये कयामत

इश्क़ बिमारी की इक शरारत है
रातों जगाती है ये कयामत है

नींद को कैसे समझाऊं मैं
इन आखों को इससे शिकायत है

उसको ये लाती नहीं साथ अपने
जिसकी वजह से मिरी ये हालत है

वोह जो हस्ती है मेरे जनाजे पे
अरे ऐसी मुहब्बत पे लानत है

गर सोचते हो बिन तुम्हारे अकेला हूँ 
ना भूल ये मैकदे अभी सलामत है

©Bharat Sharma Vats #KaviBhitar #MoGu #IshqBimari
इश्क़ बिमारी की इक शरारत है
रातों जगाती है ये कयामत है

नींद को कैसे समझाऊं मैं
इन आखों को इससे शिकायत है

उसको ये लाती नहीं साथ अपने
जिसकी वजह से मिरी ये हालत है

वोह जो हस्ती है मेरे जनाजे पे
अरे ऐसी मुहब्बत पे लानत है

गर सोचते हो बिन तुम्हारे अकेला हूँ 
ना भूल ये मैकदे अभी सलामत है

©Bharat Sharma Vats #KaviBhitar #MoGu #IshqBimari