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मुक़म्मल नहीं कुछ मैं ये जानता हूँ। मोहब्बत को तेरी

मुक़म्मल नहीं कुछ मैं ये जानता हूँ।
मोहब्बत को तेरी मैं रब मानता हूँ।

चाहत में सहता है दिल जो जहाँ में!
मैं फ़ित्ने क़यामत भी कम मानता हूँ।

ये दौलत है मिट्टी ये शौहरत है झूठी!
मैं निस्बत को तेरी ही सब मानता हूँ। मुक़म्मल नहीं कुछ मैं ये जानता हूँ।
मोहब्बत को तेरी मैं रब मानता हूँ।

चाहत में सहता है दिल जो जहाँ में!
मैं फ़ित्ने क़यामत भी कम मानता हूँ।

ये दौलत है मिट्टी ये शौहरत है झूठी!
मैं निस्बत को तेरी ही सब मानता हूँ।
मुक़म्मल नहीं कुछ मैं ये जानता हूँ।
मोहब्बत को तेरी मैं रब मानता हूँ।

चाहत में सहता है दिल जो जहाँ में!
मैं फ़ित्ने क़यामत भी कम मानता हूँ।

ये दौलत है मिट्टी ये शौहरत है झूठी!
मैं निस्बत को तेरी ही सब मानता हूँ। मुक़म्मल नहीं कुछ मैं ये जानता हूँ।
मोहब्बत को तेरी मैं रब मानता हूँ।

चाहत में सहता है दिल जो जहाँ में!
मैं फ़ित्ने क़यामत भी कम मानता हूँ।

ये दौलत है मिट्टी ये शौहरत है झूठी!
मैं निस्बत को तेरी ही सब मानता हूँ।