अमावस की काली रातों में साँझ ढले जब रात दबे पाँव आती है सितारों की महफ़िल में चाँदनी गुनगुनाती है मैं खो जाता हूँ फ़लक़ पर कहीं लगता है चाँदनी मुझे देख मुस्कुराती है हर रोज़ का ये सिलसिला एक रोज़ ख़तम हो जाता है अमावस की काली रात में बस मेरी तन्हाई और मैं रह जाता हूँ. #अमावस की रात में....