सूखते गुलाबों को इंतज़ार है, बरसात का, जिसकी बूंदें जड़ों को भिगोकर, पूरे जिस्म में जान डाल देती हैं, और मुस्कान छा जाती है चेहरे पर, वापिस खिले गुलाब को देखकर !! पेश है एक नई कविता :: सूखते गुलाबों को इंतज़ार है, बरसात का, जिसकी बूंदें जड़ों को भिगोकर, पूरे जिस्म में जान डाल देती हैं, और मुस्कान छा जाती है चेहरे पर, वापिस खिले गुलाब को देखकर !!