RIP Arun Jaitley जैसे सूक्ष्म होकर जीवन आता है। वैसे हीं सूक्ष्म होकर जीवन चला जाता है ।। कोई नही है अमर्त्य यहां , अमीर गरीब ,हो या छोटा-बड़ा, सबका मृत्यु के आगे तो सर झुक ही जाता है।। आसमान सा विशाल हो , पानी सा हो शीतल , या मिट्टी सा नर्म हो कोई , कोई नहीं विजयी पाता इसपर , मिटटी में मिल जाती है मिट्टी (शरीर और पानी ,पानी में मिल जाता है । जैसे सूक्ष्म होकर जीवन आता है वैसे ही सूक्ष्म होकर जीवन चला जाता है।। जी रहे हो जीवन जब तुम तो मृत्यु से क्यों इकरार है ? क्यों मृत्यु से करते हो ठना-ठनी? कह दो ,कह दो न की तुम्हे जीवन से ज्यादा मृत्यु से प्यार है। अंत में तो यही है होना,यही करना पड़ेगा तुम्हे स्वीकार है, गरल नही अमृत है यह, यही तो तेरे अगले पड़ाव का यार है। जैसे सूक्ष्म होकर जीवन आता है । वैसे हीं सूक्ष्म होकर जीवन चला जाता है।। कोई नहीं है अमर्त्य यहां मृत्यु इसी सत्य को दर्शाता है। ©स्वाति आनंद #r.i.p